प्रेमी युगल को हमेशा से ऐसे सुरक्षित तरीकों की तलाश रही है जिससे कि अनचाहे गर्भ से बचा जा सके। ऐसे में जब से गर्भनिरोधक (Contraceptive) गोलियां आईं तब से एक सामाजिक क्रांति सी आ गई।
Contraceptive के रूप में मगरमच्छ का इस्तेमाल
एक रिपोर्ट के अनुसार मिस्र की प्रेमिकाएं अनचाहे गर्भ को रोकने के लिए मगरमच्छ का मल इस्तेमाल करतीं थीं। इस बात का उल्लेख 1850 ईसा पूर्व के दस्तावेजों में मिलता है। मगरमच्छ का मल आधुनिक शुक्राणु की तरह थोड़ा सा क्षारीय होता है। इस तरह इस बात के सबूत तो पुख्ता तौर पर उपलब्ध हैं की पहले भी इस तरह के तरीके उपलब्ध थे। प्राचीन काल से ही इस दिशा में प्रयास जारी थे।
आधा निचोड़ा नींबू
इसका इस्तेमाल तो कई संस्कृतियों में शुक्राणुनाशक के रूप में किया जाता था। भेड़ के मूत्राशय के बने कॉन्डम में निचोड़े हुए आधे नींबू का इस्तेमाल अस्थायी रूप से सर्वाइकल कैप की तरह किया जाता था। नींबू में पाया जाना वाला साइट्रिक एसिड शुक्राणुनाशक का काम करता है। लेकिन यह उनके लिए नहीं था जो संयम से काम नहीं लेते। यानि संयम से बड़ी कोई चीज नहीं होती।
आज की क्या है स्थिति?
इस मामले में अमरीका दुनिया का पहला वो देश था जिसने 1960 में गर्भनिरोधक गोली के इस्तेमाल की अनुमति दी। उसके बाद तो मेडिकल विभाग ने लगातार शोध कर के कई तरीके खोजे। फिर इस क्षेत्र में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा गया। अब तो स्थिति इतनी बदतर हो गई है ओर इसका दुरुपयोग बढ़ने से गर्भनिरोधक कानून बनाए गए है। अलग-अलग देशों मे इसे लेकर अलग अलग तरह के कानून बनाए गए हैं। लेकिन अब कानून के दुरुपयोग की भी खबरें आने लगीं हैं। फिर भी मेडिकल क्षेत्र ने इस मामले में काफी प्रगति की है। आगे भी प्रगति करता ही जा रहा है लेकिन इसे लेकर सामाजिक जागरूकता की भी आवश्यकता है।