यदि सस्थ रहना है तो आपको सचेत रहना ही पड़ेगा. क्योंकि एक तो वैसे ही प्रदुषण ने बजा रखी है ऊपर से हम और गलतियाँ करेंगे तो इसका खामियाजा भी हमें ही भुगतना पड़ेगा. क्या आप गोलगप्पे (Panipuri) के चटक स्वाद के पीछे कि सच्चाई जानना चाहेंगे?
तो क्या है गोलगप्पे (Panipuri) के टेस्ट में ट्विस्ट?
शायद ही ऐसा कोई होगा जिसके मुंह में गोलगप्पे का नाम सुनकर पानी न आए. इसमें पड़ने वाला चटाखेदार मसाला पानी, उबले आलू मटर से भरे गोल-गोल गोलगप्पों के स्वाद के दीवाने बच्चे से लेकर बड़े सभी होते हैं. चटपटे पानी से भरे इन गोलगप्पों को हर अवसर के मेन्यू में शामिल किया जाता है. अलग-अलग जगह पर इसे पानी पुरी, गुपचुप, फुचका और फुचकी भी कहा जाता है. इसे सूजी या आता दोनों से बनाया जाता है. भारत के कई राज्यों में ये बड़े चाव से खाये जाते हैं.
लेकिन कहानी में एक ट्विस्ट है
जी हां गोलगप्पों के पीछे छिपी सच्चाई जिसे जानकार शायद आपको थोडा अजीब लगे. इसे जानकार शायद आपके मुंह में आया पानी मुंह में ही सुख कर रह जाए. दरअसल गली मोहल्ले में बिकने वाले इस जिस आटे से तैयार किया जाता है उसे गूंथने के लिये काफी समय और मेहनत लगती है. इसे हाथों से गूंथना थोड़ा मुश्किल होता है इसलिए इसे बनाने वाले कारीगर इसे जमीन पर रखकर पैरों से गूंथते हैं. साथ ही गोलगप्पों का लजीज स्वाद आपकी सेहत के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है. डीप फ्राई की हुई ये पूरियां आपके लिए पूरी तरह से हानिकारक हैं. क्योंकि इन्हें तलने के लिए बार-बार एक ही तेल का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा इसकी चटनी और पानी आपको पेट के लिये हानिकारक होते हैं. इसलिए अगली बार जब भी गोलगप्पा खाएं थोड़ा सचेत रहें. क्योंकि सचेत रहेंगे तभी तो कुछ खा सकेंगे न.