यदि आप इसे पढ़ रहे हैं तो इसका मतलब है कि आप इसके लिए तैयार हैं. पर आपको लगे कि सब ठीक ही तो चल रहा है. कहीं इतनी समस्या तो नहीं दिखती? तो आपको बता दें कि इसके लक्षण साफ़ दिख रहे हैं. वो 10 सवाल जो दुनिया (Change the World) बदलने के लिए आपको खुद से पूछना चाहिए.
कैसे रोकें जनसँख्या विस्फ़ोट?
आज की ज्यादातर समस्यायों के जड़ में यही समस्या दिखती है. क्योंकि बढ़ती जनसँख्या एक तो खुद समस्या है दूसरी ये प्राकृतिक सम्पदा में भी भागीदार बनती है. इसे जरुरत की सभी चीजें देना और सुरक्षा देना बेहद चुनैतिपूर्ण है.
Change the World फॉर जल संकट
पानी हमारी आधारभूत आवश्यकताओं में से एक है. इस पानी की हालत आज बेहद खस्ता है. भूजल तेजी से ख़त्म हो रहे हैं लेकिन हम बर्बाद होते पानी को रोकने के लिए अपनी लापरवाही छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. वैसे तो धरती पर तीन हिस्सा पानी है लेकिन अभी व्यापक स्तर पर उसे शुद्ध करके पिने लायक नहीं बनाया जा सका है.
अफ़वाहों का क्या करें?
आज के संचार युग में सूचनाएं अनियंत्रित रूप से प्रवाहित हो रहीं हैं. इसलिए इसमें बहुत सारी अफवाहें भी उतनी ही तेजी से फ़ैल जातीं हैं. सोशल मिडिया में फेक न्यूज़ को रोकने का अभी तक कोई पुख्ता तरीका नहीं निकाला जा सका है.
कैसे सुधरेगी दुनिया की सेहत?
आज अस्पतालों में भीड़ बढ़ती जा रही है. निचले तबके के लोग आज भी इलाज कराने से महरूम हैं. जब तक हम दुनिया में सबका सेहत नहीं सुधार देते, एक अच्छी दुनिया की कल्पना बेमानी है. शहरों में रोजगार के लिए आ रहे लोगों का जीवन स्तर सुधारने की जरूरत है.
फैलती महामारियां कैसे रुकेंगी?
आज की दुनिया में जिस तेजी से हम रोग का समाधान खोज रहे हैं, बीमारी भी उसी गति से बढ़ रही है. नई-नई बीमारियाँ महामारियों के रूप में सामने आ रहीं हैं. ज़ीका और इबोला जैसी बीमारियाँ लोगों की जिंदगियां ख़त्म कर रहीं हैं और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं. इन महामारियों से लड़ने के लिए दुनिया को एक जुट होकर प्रयास करने की जरूरत है.
डीएनए तकनीक, समाधान या समस्या?
जब से इन्सान को पता चला है कि हमारी पूरी जानकारी डीएनए के अंदर है तभी से लोग इस जानकारी को समझने में लगे हैं. अब इसमें सफलता मिलती दिख रही है. लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जीन एडिटिंग तकनीक खतरनाक हो सकती है क्योंकि अभी हम इसका साइड-इफेक्ट भी नहीं जानते हैं. इसलिए इस मामले में धैर्य से काम लेने की जरूरत है.
बेअसर होती दवाओं का क्या?
हमने अंधाधुंध कई एंटीबायोटिक बनाएं हैं. उसका इस्तेमाल भी हम धड़ल्ले से कर रहे हैं. जानकार बताते हैं कि एंटीबायोटिक के ज्यादा इस्तेमाल से कीटाणु उससे लड़ने की क्षमता विकसित कर लेते हैं. इस वजह से आज कई एंटीबायोटिक्स बेअसर हो चुकीं हैं.
क्या है कुदरती आपदाओं का समाधान?
हालांकि हम लागातार समस्याओं के समाधान खोज रहे हैं. हमें उसी अनुपात में सफतला भी मिल रही है. पर प्राकृतिक आपदाओं के मामले में हम अभी भी असहाय ही हैं. भूकंप, तूफ़ान आदि से बचने के लिए हमें तकनीक बनानी पड़ेगी.
शहरों की बदतर हो रही हालत कैसे रुकेगी?
हमने विकास का पहिया ऐसा घुमाया है कि ये शहरों से होकर जाता है. हमने गांवों पर ध्यान ही नहीं दिया. खासकरके विकासशील देशों में. इसका खामियाजा हमें पलायन के रूप में देखने को मिलता है. गाँवों से शहरों कि तरफ होने वाले पलायन से शहरों में आबादी बढ़ी है. आज शहरों की आबादी का ज्यादातर हिस्से का जीवन स्तर निम्न बना हुआ है.
बढ़ती कारें बढ़ातीं मुश्किलें?
शहरों में आबादी बढ़ने से वहां आए दिन ट्राफिक जाम लगता रहता है. निजी वाहनों खासकरके कार की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. इससे पार्किंग की समस्या भी उत्पन्न हुई है. इस चुनौती से निपटाना मुश्किल होता जा रहा है.