जब कभी कुछ चटपटा या तीखा खाना होता है तो झालमुड़ी कि याद आती है. कुछ लोग तो इसके इतने दीवाने हैं कि रोज खाते हैं. मुख्य रूप से बंगाल में खाया जाने वाला ये अब पुरे उत्तर भारत में खाया जाता है. इस लेख में जानिए झालमुड़ी या भेलपुरी को स्नैक्स का राजा (Snacks King Bhelpuri) क्यों है? क्या ख़ास है इसमें.
इस (Snacks) की खासियत
इसे अमीर और ग़रीब दोनों ही बड़े चाव से खाते हैं. इसके कारण भी हैं. इनके स्टॉल कटोरों और अन्य बर्तनों से लदे होते हैं जिनमें चटपटे मसाले रखे होते हैं और ठीक बीचों-बीच एक बड़ा सा स्टील का कटोरा रखा होता है, जिसमें झालमुड़ी बनाई जाती है. झाल का मतलब है मसालेदार और मुड़ी का मतलब है चावल के भुने दाने. इसमें केवल कुरकुरे चावल ही नहीं होते बल्कि मिर्च पॉउडर भी छिड़काव होता है.
बनाने का तरीका
झालमुड़ी बनाने का असली स्वाद बनाने वाले की कला पर निर्भर करता है. कुछ मुठ्ठी मुड़ी में कुछ मूंगफली, दाल के दाने और मक्के (कॉर्नफ्लेक्स) भी पड़ते हैं. कभी-कभी इसमें सेव भी डाली जाती है. इसके बाद इसमें टमाटर, खीरा, मिर्च, धनिया, नारियल और प्याज के टुकड़े मिलाए जाते हैं. इसके ऊपर उबले हुए आलू के टुकड़े डाले जाते है. इस स्नैक्स के दूसरे हिस्से की बारी आती है यानी झाल की, जो कि मसालों का पेस्ट होता है. इसमें मिर्च ज़रूर होती है, लेकिन इससे ज़्यादा मिर्च मुड़ी में होगी. इसमें नमक और गरम मसाला तो होता ही है. गरम मसाले में जीरा, इलायची, जायफल, जावित्री, लौंग, काली मिर्च और तेजपत्ता मिला होता है.
चटपटा कैसे बनता है
खट्टापन पैदा करने के लिए मसालों में अमचूर भी डालते हैं. एक चम्मच अमचूर को कटोरे में डाला कर उस पर नींबू निचोड़ा जाता है और सरसों का तेल डाला जाता है. इन सभी को अब अच्छी तरह मिला लिया जाता है. फिर हर चीज अच्छी तरह से मिक्स हो इसके लिए बनाने वाला कटोरे को कई बार उछालता है. अंत में इसे रद्दी अख़बारों से बने कोन के आकार के पैकेट में डालकर इसे हिलाया जाता है.
सबको बनाया है अपने स्वाद का दीवाना
झालमुड़ी इतनी स्वादिष्ट होती है कि इस बारे में सबकी राय एक सी ही होगी. अब झालमुड़ी स्टाल में से किसी से एक पैकेट खरीदिए और खाते हुए अन्य ग्राहकों को देखिए. आप देखेंगे कि सूटे-बूट पहने वाले बिजनेसमैन भी ग़रीब से ग़रीब ग्राहकों की लाइन में खड़े होते हैं. वाक़ई जब स्वाद की बात हो तो झालमुड़ी सबको बराबर बना देता है!