दिल्ली के कनॉट प्लेस इलाके में स्थित गुरुद्वारा बंगला साहिब का स्थान सबसे प्रमुख सिख गुरुद्वारों में है. चूँकि ये बेहद प्राचीन है तो जाहिर सी बात है कि इसका ऐतिहासिक महत्व भी है. जानिए Gurudwara Bangla Sahib के इतिहास से जुडी 6 रोचक बातें.
1. Gurudwara Bangla Sahib का परिचय
सिखों के आठवें सिख गुरु, गुरु हरकिशन साहिब जी का सम्बन्ध गुरुद्वारा बंगला साहिब और इसके अंदर बने सरोवर से जाना जाता है. मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय के शासनकाल के दौरान 1783 में सिख जनरल सरदार भगेल सिंह द्वारा एक छोटे से श्राइन का निर्माण किया और उसी वर्ष दिल्ली में नौ सिख धार्मिक स्थलों के निर्माण को अपनी देखरेख में बनवाया.
2. बात नामकरण की
मूल रूप से ये जगह मिर्जा राजा जयसिंह, सत्रहवीं सदी में एक भारतीय शासक का बंगला (हवेली) थी इसलिए इसका नाम बंगला साहिब रखा गया. मिर्जा राजा जयसिंह मुगल बादशाह औरंगजेब के एक महत्वपूर्ण सैन्य नेता थे.
3. सबसे कम उम्र के गुरु
गुरु हरकिशन सबसे कम उम्र के गुरुओं में से एक थे जिन्होंने 8 साल की बहुत ही कम उम्र में गुरुगद्दी संभाली थी. इसका मुगल बादशाह औरंगजेब ने विरोध किया. इस मामले में औरंगजेब ने गुरु हरकिशन को दिल्ली बुलाया ताकि वह जान सके कि सिखों के नए गुरु में ऐसा क्या खास है जो इतनी कम उम्र में उन्हें यह औदा प्राप्त हुआ.
4. सरोवर का इतिहास
1664 में सिखों के आठवें सिख गुरु, गुरु हरकिशन साहिब जी जब दिल्ली पहुंचे, तो वहां हैजे की महामारी फैली हुई थी. उन्होंने इस घर के कुएं जिसे आज सरोवर माना जाता है, से ताजा पानी देकर लोगों की पीड़ा में मदद की. इतिहास के मुताबिक, गुरु जी ने अपने चरण सरोवर के उस जल में रखकर अरदास की थी और फिर उस जल से मरीजों को सहायता मिली. इस कुएं के पानी को स्वास्थ्य वर्धक, आरोग्य वर्धक और पवित्र उपचार के गुण होने के कारण दुनिया भर से सिख लोग इसका पवित्र जल घर लेकर जाते है. बाद में राजा जय सिंह ने इस कुएं पर एक टैंक बनवा दिया था.
5. गुरु हरकिशन जी की मृत्यु
कई लोगों को स्वास्थ्य लाभ कराने के बाद उन्हें स्वयं चेचक निकल आई और अंत में 30 मार्च को उनका निधन हो गया. 30 मार्च सन्, 1664 को मरते समय उनके मुंह से ‘बाबा बकाले’ शब्द निकले, जिसका अर्थ था कि उनका उत्तराधिकारी बकाला गांव में ढूंढा जाए. साथ ही गुरु साहिब ने सभी लोगों को निर्देश दिया कि कोई भी उनकी मृत्यु पर रोयेगा नहीं.
6. बंगला साहिब क्यों ख़ास है
इस गुरुद्वारे के परिसर में एक म्यूजियम, पुस्तकालय व हॉस्पिटल भी है. बाहर से आने वालों के लिए यहां हाल ही में एक यात्री निवास भी बनवाया गया है. आप यदि गुरुद्वारे के पीछे भी जाओगे तो देखोगे कि वहां से भी गुरुद्वारा बहुत खूबसूरत और भव्य दिखता है. यहां से भी बाहर जाने का एक दरवाजा है, जो अशोक रोड पर खुलता है.