कृत्रिम बुद्धिमत्ता को लेकर हमेशा से दो मत रहा है. एक मत इसे मानव कार्यों में सहयोगी मानता है वहीं दुसरे इसे मानव संस्कृति के लिए खतरा बताते हैं. लेकिन फिर भी इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं. जानिए कृत्रिम बुद्धिमता (Artificial Intelligence) की 5 बड़ी गलतियाँ जो सचेत करती हैं.
Artificial Intelligence है क्या?
कृत्रिम बुद्धिमता का मतलब ऐसे कप्यूटर सिस्टम से है जो इंसानों की तरह खुद सिख कर या समझ कर फैसला ले सके. ये अभी शुरुवाती चरण में है इसलिए कभी-कभी ये हास्यास्पद और आपत्तिजनक गलतियाँ कर बैठते हैं. जब ये अपने रौ में होंगे तो ऐसा लगेगा जैसे दुनिया कार्बन से नहीं बल्कि सिलिकॉन से चल रही है. क्योंकि चारों तरफ यही नजर आएंगे, सर्जरी करते हुए, गाड़ियाँ चलाते हुए. कई जगह पर तो इनका इस्तेमाल शुरू भी हो गया है.
नस्लभेदी चैटबॉट
पिछले साल माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च और बिंग टीम ने एक बड़ा मजेदार एक्सपेरिमेंट किया और Tay नाम का एक चैटबॉट तैयार किया. इसका ट्विटर पर हैंडल बनाया गया. आर्टिफिशल इंटेलिजेंस पर काम करने वाला Tay चैटबॉट लोगों के ट्वीट्स से सीखता था. लेकिन ये लोगों के ट्वीट्स पढ़कर रेसिस्ट हो गया. यह हिटलर का फैन बन गया और बताने लगा कि 9/11 के पीछे यहूदी थे. परिणामस्वरूप माइक्रोसॉफ्ट को इसे ट्विटर से हटाना पड़ा.
गूगल फोटोज़ की बड़ी गलती
गूगल फोटोज का हम सभी इस्तेमाल करते हैं. ये लोगों को उनकी तस्वीरों में टैग करने के लिए खास प्रोग्रामिंग इस्तेमाल करता है. लेकिन तब विवाद खड़ा हो गया जब AI पर काम करने वाले गूगल फोटोज़ ने अफ्रीकी-अमेरिकी मूल के दो लोगों को गोरिल्ला बता दिया.
बच्चे से जा भिड़ा क्राइम से लड़ने वाला रोबॉट
नाइटस्कोप ने AI पर काम करने वाले ‘क्राइम फाइटिंग रोबॉट’ बनाया था. लेकिन सिलिकन वैली मॉल में यह 16 महीने के बच्चे से ऐसा टकराया कि बच्चा बुरी तरह जख्मी हो गया. बाद में कंपनी ने इसे असामान्य हादसा बताया था.
AI से जज की गई सौंदर्य प्रतियोगिता
आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से जज किया जाने वाला पहला इंटरनैशनल ब्यूटी कॉन्टेस्ट अपने अजीब निर्णय की वजह से विवादों में रहा. इसमें जज की भूमिका वाले रोबॉट ने इंसान की सुंदरता और हेल्थ के पहले के आदर्श पैमानों के आधार पर प्रतियोगियों को जज किया था. इस लिए इसके द्वारा चुने गए सभी विजेता श्वेत वर्ण के थे.
फ्यूचर क्राइम
Northpointe ने आर्टिफिशल इंटेलिजेस पर आधारित एक सिस्टम बनाया जो किसी अपराधी द्वारा फिर से अपराध करने की संभावनाओं का आकलन करता था. लेकिन इसके ऐल्गॉरिदम पर पर नस्लभेदी होने का आरोप लगाया गया क्योंकि यह अश्वेत अपराधियों द्वारा अपराध करने की ज्यादा आशंकाएं जताता था.